मेरे उपवन आया बसंत ,छाया बसंत।
कभी मंद और कभी तेज ,
प वनों के झोंकें , डरे डरे ।
नन्हीं कलियों से लदे - भरे ,
फल - फूल झूमते खिले -खिले
फूलों में मधु और पराग ,
कण- कण में बिखरी सुगंध .
मेरे उपवन आया बसंत .छाया बसंत .
धारे किरीट , बुलबुल की है , अजब शान
चंचल श्यामा , aur niilkantha ,
कोयल ,महूक ,कागा दुरंत ,
रंग -रंग के पंछी अनंत
मेरे उपवन आया बसंत , छाया बसंत।
चिड़ियों का कलरव मधुर गान ,
भ्रमरों की गुनगुन का वितान ,
गुंजित जैसे हो जलतरंग ,
मेरे उपवन आया बसंत .छाया बसंत।
मन भाया बसंत , आया बसंत.
Thursday, March 17, 2011
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