Monday, November 7, 2011

एक दीया जला लो

उठो ,आंसुओं को पौछ डालो ,
अँधेरा बहुत है ,एक दीया जला लो ।
सिसकियों से शायद सहम से गए हो ,
रोते रोते भरम से गए हो --
उठो आंसुओं को पौछ डालो ।
क्यों हो गुमसुम ,उदास अनमनें से
चलो , हिम्मत न हारो,बढ़ चलो -
उठो ,आंसुओं को पौंछ डालो
जितना डरोगे डराएगी दुनिया
जितना सहोगे सताएगी दुनिया
चलो पास बैठो ,ज़रा मुस्करा दो
हिम्मत न हारो ,एक दीया जला लो
उठो आंसुओं को पोंछ डालो .

Sunday, June 26, 2011

snehshakti: वर्षा की फुहार

snehshakti: वर्षा की फुहार

वर्षा की फुहार

झिर -झिर ,झिर-झिर ,लगातार
वर्षा की फुहार ,
धरती पर है सहज प्यार ,
नभ का अपार बरसे बहार
झिर -झिर ,झिर -झिर लगातार
वर्षा की फुहार ।
कुछ हरा - हरा ,कुछ भरा - भरा,
पावस ऋतु का भण्डार नया ।
अंकुर,किसलय ,नदियाँ , पहाड़
सोंधी सुगंध फिर मलय बहार ।
झिर - झिर झिर -झिर लगातार ,
वर्षा की फुहार .

Thursday, June 2, 2011

यादें

यादों के गलियारों में
कुछ भूले बिसरे चित्र जड़े
कुछ धुंधले कुछ चमक रहे
यादों की गलियारों में

चलते चलते बरसों बीते
बीज वृक्ष बन हुए खड़े
शाखाएं फूटी, बचपन बीता
यौवन की दहलीज पार कर
अंतिम पड़ाव पर थके पड़े

सुस्ताते, बैठे, वानप्रस्थ के द्वार
जीवन में हम जीते या फिर पाई हार
काश लौट आते वे दिन और फिर
जी पाते सारा जीवन
करके भूल सुधर

यादों के गलियारों में
कुछ भूले बिसरे चित्र जड़े
कुछ धुंधले कुछ चमक रहे
यादों की गलियारों में

Thursday, March 17, 2011

आया बसंत

मेरे उपवन आया बसंत ,छाया बसंत।
कभी मंद और कभी तेज ,
प वनों के झोंकें , डरे डरे ।
नन्हीं कलियों से लदे - भरे ,
फल - फूल झूमते खिले -खिले
फूलों में मधु और पराग ,
कण- कण में बिखरी सुगंध .
मेरे उपवन आया बसंत .छाया बसंत .
धारे किरीट , बुलबुल की है , अजब शान
चंचल श्यामा , aur niilkantha ,
कोयल ,महूक ,कागा दुरंत ,
रंग -रंग के पंछी अनंत
मेरे उपवन आया बसंत , छाया बसंत।
चिड़ियों का कलरव मधुर गान ,
भ्रमरों की गुनगुन का वितान ,
गुंजित जैसे हो जलतरंग ,
मेरे उपवन आया बसंत .छाया बसंत।
मन भाया बसंत , आया बसंत.