Monday, November 7, 2011

एक दीया जला लो

उठो ,आंसुओं को पौछ डालो ,
अँधेरा बहुत है ,एक दीया जला लो ।
सिसकियों से शायद सहम से गए हो ,
रोते रोते भरम से गए हो --
उठो आंसुओं को पौछ डालो ।
क्यों हो गुमसुम ,उदास अनमनें से
चलो , हिम्मत न हारो,बढ़ चलो -
उठो ,आंसुओं को पौंछ डालो
जितना डरोगे डराएगी दुनिया
जितना सहोगे सताएगी दुनिया
चलो पास बैठो ,ज़रा मुस्करा दो
हिम्मत न हारो ,एक दीया जला लो
उठो आंसुओं को पोंछ डालो .