Sunday, November 1, 2015

Kuchh to Bataiye


                                    कुछ तो बताइये
       परिवर्तन सृष्टि का नियम है चलते रहना जीवन और रूक जाना मृत्यु है। समाज के विकास में भी यही नियम है मान्यतायें बदलती है आवश्यकतानुसार विचार बदलते है सोच और दिशायें बदलती है। नही बदलते है तो हमारे शाश्वत नैतिक मूल्य। नैतिक मूल्यों के व्यवहारिक प्रयोग में निरंतर गिरावट देखी जा रही है। माता-पिता परिवार विद्यालय अध्यापक शिक्षा शास्त्री सभी हैरान परेशान है मौखिक रूप से हर व्यक्ति अपने स्तर पर दया करूणा सहयोग सम्मान आदि मानवीय गुणों की संवेदनाओं के लिये उपदेश देते रहे है लेकिन नतीजा कुछ भी नही। जितना नैतिक शिक्षा पर बल दिया जा रहा है लोग सर्तकता और सावधानी बरत रहे है उतने ही भयानक और विपरीत प्रभाव हमें दिखाई पड़ रहे है।
        क्या है इसका कारण कहाॅं हम चूक रहे है कौन है जिम्मेदार? कौन सी चीज हमें पतन की ओर खीच रही है सभी अपने-अपने दायित्व निवर्हिन को सही बता कर मीडिया पर दोष मढ़ रहे है। इसी पृष्ठ भूमि को लेते हुए वर्तमार समाज में गिरते नैतिक मूल्यों को कारण मीडिया ही है क्या सोचती है हमारी युवा पीढ़ी? भुक्त भोगी अनुभव करने वालों का किशोरों की क्या सोच है अनुभवों के धनी हमारे वरिष्ठ जन इसे किस तरह समझाना और समाधान देना चाहेंगे। यदि कुछ समय दे कर दिशा बोध हो सके तो आभारी रहँूगी मैं----       





Pita


                                   पिता
तुम बरगद की छाँव पिता हो
औ, घर की देहरी का दीवा
धुरी रहे परिवार की घर आॅंगन के प्यार की
तुम बरगद की छाँव पिता हो,
आँधी या तूफान हो, सागर विफरे
या फिर आया कोई भूचाल हो
हर बच्चे के लिए साथ मे
कस कर थामें हाथ हाथ में
साहस का वरदान पिता हो
ना कोई टूटे ना हो आहत
तुम बरगद की छाँव पिता हो!
        
       
          

Aankhein nm kr jaati hain


                  आँखे नम कर जाती है

कुछ यादेेें ऐसी होती है
जो दिल पर छाई रहती है
जितना भी दिल टूटा हो
बस आँखें नम कर जाती है

बचपन की स्कूलों की
प्यारे सखी सखाओं की
हॅंसी ठिठोली, जोर-जोरी,
छीना-छीनी, रूठा-रूठी
बस आँख नम कर जाती है

क्यों मौसम बदला करते है
क्यों तेज हवायें चलती है?
सब तितर-बितर हो जाता है
क्यों तेज कसक सी उठती है

क्यों समय बीत हर जाता है
क्यों भूल नही कुछ पाता है
दुख की हो या सुख की यादे
बस आँखे नम कर जाती है

कुछ यादें ऐसी होती है
जितना भी दिल टूट हो
बस आँखें नम कर जाती है
यों दिल पर छाई रहती है