Sunday, November 1, 2015

Aankhein nm kr jaati hain


                  आँखे नम कर जाती है

कुछ यादेेें ऐसी होती है
जो दिल पर छाई रहती है
जितना भी दिल टूटा हो
बस आँखें नम कर जाती है

बचपन की स्कूलों की
प्यारे सखी सखाओं की
हॅंसी ठिठोली, जोर-जोरी,
छीना-छीनी, रूठा-रूठी
बस आँख नम कर जाती है

क्यों मौसम बदला करते है
क्यों तेज हवायें चलती है?
सब तितर-बितर हो जाता है
क्यों तेज कसक सी उठती है

क्यों समय बीत हर जाता है
क्यों भूल नही कुछ पाता है
दुख की हो या सुख की यादे
बस आँखे नम कर जाती है

कुछ यादें ऐसी होती है
जितना भी दिल टूट हो
बस आँखें नम कर जाती है
यों दिल पर छाई रहती है

   
  
  
   


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