पिता
तुम बरगद की छाँव पिता हो
औ, घर की देहरी का दीवा
धुरी रहे परिवार की घर आॅंगन के प्यार की
तुम बरगद की छाँव पिता हो,
आँधी या तूफान हो, सागर विफरे
या फिर आया कोई भूचाल हो
हर बच्चे के लिए साथ मे
कस कर थामें हाथ हाथ में
साहस का वरदान पिता हो
ना कोई टूटे ना हो आहत
तुम बरगद की छाँव पिता हो!
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