Sunday, June 26, 2011

snehshakti: वर्षा की फुहार

snehshakti: वर्षा की फुहार

वर्षा की फुहार

झिर -झिर ,झिर-झिर ,लगातार
वर्षा की फुहार ,
धरती पर है सहज प्यार ,
नभ का अपार बरसे बहार
झिर -झिर ,झिर -झिर लगातार
वर्षा की फुहार ।
कुछ हरा - हरा ,कुछ भरा - भरा,
पावस ऋतु का भण्डार नया ।
अंकुर,किसलय ,नदियाँ , पहाड़
सोंधी सुगंध फिर मलय बहार ।
झिर - झिर झिर -झिर लगातार ,
वर्षा की फुहार .

Thursday, June 2, 2011

यादें

यादों के गलियारों में
कुछ भूले बिसरे चित्र जड़े
कुछ धुंधले कुछ चमक रहे
यादों की गलियारों में

चलते चलते बरसों बीते
बीज वृक्ष बन हुए खड़े
शाखाएं फूटी, बचपन बीता
यौवन की दहलीज पार कर
अंतिम पड़ाव पर थके पड़े

सुस्ताते, बैठे, वानप्रस्थ के द्वार
जीवन में हम जीते या फिर पाई हार
काश लौट आते वे दिन और फिर
जी पाते सारा जीवन
करके भूल सुधर

यादों के गलियारों में
कुछ भूले बिसरे चित्र जड़े
कुछ धुंधले कुछ चमक रहे
यादों की गलियारों में