Monday, July 19, 2010

बरसों घन

तनिक घनघोर बरसो घन , अभी तुम और सरसों मन ।
अभी तुम और तरसो मन , तनिक घनघोर बरसो घन ।
झमाझम झम बरसती आज बरखा है,
कड़कड़ कड़ कडकती आज ताडिता है ,
अभी तुम और तरसो मन तनिक घनघोर बरसो घन ।
कभी हो ही नहीं सकतीं फिजायें एक सी जग में ,
कभी सुख है कभी दुःख है अजब है हाल इस जग में,
अभी तुम और तप लो मन,
तनिक घन घोर बरसो घन,
तपन तप आग की लेकर खरा सोना चमकता है ,
दुःख सुख को सहन कर ,
यह जीवन संवरता है ।
सह कर ,
अभी तुम और निखरो मन ,
अभीतुम और बरसो घन ।
तनिक घन घोर बरसो घन .

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