Tuesday, August 3, 2010

बुलबुला पानी का

इस जीवन का क्या?
अरे बुलबुला पानी का
साँसों का आना जाना ,
पलकों का गिरना उठना
होगा क्या जिंदगानी का
अरे बुलबुला पानी का ,
आस लगी तब तक जीवन से ,
डोर बंधीं जब तक जीवन से ,
टूटा धागा , कच्चा धागा ,
अरे बुलबुला पानी का .
दया ,प्रेम करुना की करनी ।
सब कुछ जीव यहीं पर भरनी .
मुट्ठी में जो दाने हैं,
जीवन के कुछ लम्हें हैं .
पल पल है कितना अनजाना ,
सोच समझ कर उसे बिता ले
होगा क्या जिंदगानी का .
अरे बुलबुला पानी का ।
यहीं नर्क है ,यहीं स्वर्ग है
यहीं मोह की ममता माया ,
यहीं मोक्ष है ,यहीं परम है ,
यहीं ईश की कोमल छाया ।
इस जीवन का क्या ?
अरे बुलबुला पानी का
सोच समझ कर उसे बिता ले
होगा क्या जिंदगानी का ,
अरे बुलबुला पानी का .



का,

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