Sunday, October 20, 2013

Prakriti aur maanav


             
                                                      प्रकृति और मानव
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   प्रकृति में और मनुष्य के जीवन में बहुत सी ऐसी साम्यताये है जो यदि गौर से देखी जाये तो हमारा मार्गदर्शन करने में अहम भूमिका निभा सकती है। यह हमारे निरीक्षण और ओब्जर्वेशन की सूक्ष्मता निर्भर पर करता है। किसी किताब, किसी के समझाने और अनुशासित करने की जरूरत नहीं।
    हिमालय को देखा है आपने- सफेद वर्फ से घिरा शान्त, ठंडा शीतल, दृढ़ मजबूत अडिग, हजारों वर्षों से अपनी गोद में घने वृक्ष, घाटियाँ, झरने, फूल जड़ी-बूटियाँ पत्थर चट्टान को प्यार से समेटे दुलराते, सभालते अपने पुरूषार्थ के बल पर खड़ा है और संदेश दे रहा है-अपने पुरूषार्थ,  पवित्र विचारो, साहस, प्रेम, हृदय की सहृदयता और सहानुभूति के बल पर जीवन में पुरूष (मानव) भी अपना स्थान बना सकता है नदियों की अजस्र धारा, के समान स्नेह और सहानुभूति, और पवित्र सिद्धांतों नैतिक निष्पक्ष निर्णय जीवन को सफल और सुगम बना सकते है। बाधाये कहाँ नही आती? कोई भी मार्ग सरल सीधा नहीं है अतः चलना, और चलना ही है----
   बेंत क्या होता है? वह तेज हवा से सामने झुक जाता है। विपरीत परिस्थियों-समय के अनुकूल होने तक विनम्र और झुक कर रहने की सीख सिखाता है बेंत के झुरमुट। हवा के तीव्र झोकें, सह कर अनुकूल वातावरण बनाने तक धैर्य धारण कर लेना इन्हीं से सीखा जा सकता है।
    और तो और ऋतुओं का बदलना, रात के बाद दिन और दिन के बाद रात का क्रम यह सत्य जाने आनजाने रोज एक बात तो याद दिलाता ही रहता है कि सुख-दुख और दुख के बाद सुख, अधेरे के बाद उजाला, कुछ भी चिर स्थाई नही है। परिवर्तन ही जीवन, गति और स्पन्दन है। उसके बिना सब मृत, स्पन्दनहीन और जड़।
    क्या झोपड़ी क्या महल! जब सोने की लंका नहीं बची तो किसलिये धनसम्पत्ति को जोड़ना। साँई उतना दीजिए जामें कुटुम समाय। सहज बस सन्तोष ही सबसे बड़ा धन है और जीवन का सरल, समान यापन। इसकी उपलब्धि। छल, दम्म द्वेष से दूर ही रह पाना मानव जीवन पाने की सार्थकता है। शान्ति और बिना किसी पश्चाताप के मरण का वरण शायद इस जीवन का लक्ष्य। और क्या चाहिये-सब कुछ धन दौलत कर्म और उसके फल सब यही रह जायेंगे। क्या होगा मृत्यु के पश्चात ये तो अनन्त का रहस्य है। इसे रहस्य ही रहने दिया जाये और जो है, वर्तमान को बिता लिया जाय यही सच्चा कर्मयोग है-साधना है ईश्वर की ओर बढ़ता पहला कदम है।
                                                      

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