Sunday, October 26, 2014

AUR TOTA UD GAYA

                        
                                                             और तोता उड़ गया-------
       मेरी बहुत-बहुत शुभकामनायें और जीवन के उन्मुक्त आकाश में क्रियाशील होने के लिये आशीष प्यार पिछले छः महीने से तम्हारी देख-रेख, खान-पान, साफ-सफाई, नहलाने-घुलाने के साथ-साथ शारीरिक विकास, पुष्ट होते पंख, नुकीली तेज चांेच और उसमे। चोखपन स्वाद के नये-नये रूप। मजबूत पुष्ट उड़ने के लिये तैयार। पिंजड़े के दो फिट के कारा में बन्द व्याकुल, बेचैनी में कभी लोहे के तार काटना बर्तनों को पटकना उलटना। पानी में रोटी, मिर्चा भिगोना भुट्टे के दाने, आनार के दाने कुतरना तरह-तरह की कसरतें सब तैयारी ही तो थी खुले आकाश में उड़ने की।
        यही नहीं मुझे सिखा गये एक सत्य कटु सत्य मगर प्यारा सा। बच्चे इसी तरह पलते है बढ़ते है और सीखते है पुष्ट होते है व्यवहारिक बनते है जिम्मेदारियाँ  उठाते है परिस्थितियों को समझ आती है और उड़ जाते है अपने मिशन पर खुले कर्म क्षेत्र में। दुख क्यों पीड़ा क्यों। वे उड़ रहें हे खुली हवा पानी धूप बरसात छाव-ताप यही तो जीवन है समय ही जीवन है जीवन को खुद जी पाना भी उपलब्धि है उद्देश्य आशा अरमान है। हर परिवार की आज के वर्तमान युग में सोच होनी चाहिये।
   गम न कर, ऐ मेरे मन
   तैयार कर दिया, समुन्दर पार कर।
   मोतियाँ ला, आसमा से चाँद तारे तोड़ कर।
                           

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