मन उदास है
मुट् ठियों से रेत जैसे , छूटता सब जा रहा है .
कौन सी है तिक्तता या कौन सी रिक्तता ,
दिल डूबता सा जा रहा है .
क्यूँ ये सूनापन घिरा है, क्यूँ ये बेचैनी बढी है ,
रौशनी में भी अँधेरा छा रहा है ,
मुट्ठियों में रेत जैसे छूटता सब जा रहा है .
यूँ तो सब कुछ पास है
फिर भी .अकेला लग रहा है ,छू ट ता सब जा रहा है .
गहरे भवंर में , और दलदल पास है ,
छूटता इक -इक सहारा जा रहा है
सुस्त अलसाया हुआ मन ,
भीत भरमाया हुआ मन .
क्यूँ सहमता जा रहा है ,छू ट ता सब जा रहा है .
मुट् ठियों से रेत जैसे , छूटता सब जा रहा है .
कौन सी है तिक्तता या कौन सी रिक्तता ,
दिल डूबता सा जा रहा है .
क्यूँ ये सूनापन घिरा है, क्यूँ ये बेचैनी बढी है ,
रौशनी में भी अँधेरा छा रहा है ,
मुट्ठियों में रेत जैसे छूटता सब जा रहा है .
यूँ तो सब कुछ पास है
फिर भी .अकेला लग रहा है ,छू ट ता सब जा रहा है .
गहरे भवंर में , और दलदल पास है ,
छूटता इक -इक सहारा जा रहा है
सुस्त अलसाया हुआ मन ,
भीत भरमाया हुआ मन .
क्यूँ सहमता जा रहा है ,छू ट ता सब जा रहा है .
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