मन के पाखी
उड़ जा ,उड़ जा मन के पाखी ,
तू अनंत की ओर .
तन का पिंजर छोड़ ,
उड़ जा , उड़ जा , मन के पाखी ,
तू अनंत की ओर .
अंगों के बंधन में कसमस ,
और छूटने को फिर . बेबस
उड़ जा, उड़ जा , मन के पाखी ,
तू अनंत की ओर .
दूर दूर फिर ऊंचा ऊंचा ,
धरती का फिर कुछ ना दीखे
यह संसार भरम की बाती ,
इसका ना कोई छोर .
उड़ जा उड़ जा ,मन के पाखी .
तू अनंत की ओर.
चहक रहा था ,महक रहा .था
जीवन का यह उपवन सारा .
मौसम का जब तेवर बदला ,
सब कुछ तहस नहस कर डाला .
समय ,भाग्य को किसने जाना?
जाना ,फिर भी कब पहचाना
उड़ जा , उड़ जा ,मन के पाखी .
नए भोर की ओर ,
नव बसंत की ओर .
तू अनंत की ओर .
उड़ जा ,उड़ जा मन के पाखी ,
तू अनंत की ओर .
तन का पिंजर छोड़ ,
उड़ जा , उड़ जा , मन के पाखी ,
तू अनंत की ओर .
अंगों के बंधन में कसमस ,
और छूटने को फिर . बेबस
उड़ जा, उड़ जा , मन के पाखी ,
तू अनंत की ओर .
दूर दूर फिर ऊंचा ऊंचा ,
धरती का फिर कुछ ना दीखे
यह संसार भरम की बाती ,
इसका ना कोई छोर .
उड़ जा उड़ जा ,मन के पाखी .
तू अनंत की ओर.
चहक रहा था ,महक रहा .था
जीवन का यह उपवन सारा .
मौसम का जब तेवर बदला ,
सब कुछ तहस नहस कर डाला .
समय ,भाग्य को किसने जाना?
जाना ,फिर भी कब पहचाना
उड़ जा , उड़ जा ,मन के पाखी .
नए भोर की ओर ,
नव बसंत की ओर .
तू अनंत की ओर .
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