पछतावा
मन बहुत घबरा रहा है। डा0 की रिपोर्ट आ गई है कुछ अच्छा संकेत नहीं है। बरामदे में बैठी चुपचाप अस्त होते हुयेे सूर्य को देख रही हँू। आकाश में पश्चिम दिशा में लालिमा लिये शान्त वातावरण और पक्षियों का कलरव करते हुये घोसलों पर वापस लौटना खगों की पंक्तियों का एक समूह परिवार की तरह आकाश में उड़ते गन्तव्य की ओर अग्रसर तभी नजर पड़ी एक अकेली चिडि़या पर शायद थोड़ा छूट गई थी। निस्सीम आकाश और और अकेली एक छोटी-सी चिडि़या पंख थक रहे थे अपनों से बिछड़ती आसरे के वृक्ष को खोजती।
कही यह मैं ही तो नही? मै और मेरी इकलौती बेटी। दिल काँप उठा। व्याकुल होकर बरामदे में टहलने लगी। ओह कुछ टूट रहा है मन डूब रहा है लगता है अब समय नही है। मेरा तो सूरज डूब रहा है। मगर मेरी बेटी तारा उसका क्या होगा कहाँ रहेगी? कैसे? पार होगा उसका जीवन। आर्थिक रूप से समृद्ध भी तो नहीं। 3000 की टीचरी नर्सरी की शिक्षिका। सुख-सुविधाओं में पाली। पानी का एक गिलास तक नही उठवाया। और अब तो आदत भी बिगड़ गई है। अपने आप सोचने, निर्णय लेने की क्षमता तो मैने ही समाप्त कर दी।मैं ही उसके लिये सब सोचती रही। कितना पढ़ना है कौन सा विषय लेना है कैसे जाना है नौकरी नही करने देना है बस-घर, कार, टी0वी0 घर का कमरा और इण्टर नेट। क्रिकेट देखने का शौक पागलो की हद तक। अमिताभ बच्चन फेवरेट उनके ट्विटर फेस बुक पर रहना गिने चुने मित्र न घर पर दोस्तो का आना जाना। बस में ओह मेरी तारा अगर उसकी शादी हो गई और वह पति के घर चली गई तो मरेा क्या होगा। मै तो उसके साथ कभी नही जा सकती। पति की अचानक हार्ट अटैक से मृत्यु के बाद विदेश में बस गये बेटे-बहू के पास जाने का तो प्रश्न ही नही उठता बस तारा हो तारा ही रहेगी साथ यही सोच कर मै रिश्ते की बात तो चलाती इश्तहार देती दरवने दिखाने का उत्साह व नाटक देखाती बक्सी के बक्से कपडे़ खरीद कर जमा करती दिया नई-नई डिजाइनों के गहने से लाकर भी भर दिया ताकि उसे यही लगे की मै उसकी शादी और घर बसाने के लिये चिन्तित हूँ लड़के ढ़ूढ़ रही हूँ और बीच-बीच मे यह भी कहती हूँ कि अगर तुम्हेू कोई पसन्द हो तो बताओं कर दूँगी। मगर किसी से मिलने-जुलने पर सख्त पाबन्दी मेरी ही लगी रहती। किसी का फोन आता तो दूसरे कमरे में दरवाजे से सटकर सुनती कसी लड़के का तो नही। और परेशान हो जाती कि अगर किसी को पसन्द कर लिया शादी की जिद कर बैठी तो-----? हर तरह से असुरक्षित मैं कुण्डली मिलाने घर परिवार को देखने के कार्यों को तेजी कर देती। लेकिन मै जानती थी यह मेरी सान्तवना थी तारा के लिये, मेरा कनर्सन दिखाने का।
40 की उम्र पार हो गई। अब क्या शादी होगी। समय निकल गया। अब तो समझौते की होगी शादी। बच्चो और परिवार बढ़ाने का तो प्रश्न ही नहीं उठेगा। जब से मेरी बीमारी की रिपोर्ट आई है उसे भी गुम-सुम चुप देख रही हैं। उसके मन मं क्या चल रहा होग मैं सोच पा रही हूँ पैसा तो बैंक से भरपूर है पर न रहने पर जायेगी कहाँ जायेीगी? रहेगी कहाँ? भाई-भाभी के जीवन में अनचाहे बोझ की तरह। पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं। हाय मेरी तारा। मेरी बच्ची मैने यह क्या किया? एक भाई वह भी इतनी दूर। जब तक हाथ पैर चलेंगे तब तक तो ठीक मगर कही कुछ वृद्धावस्था की बीमारी?
कब तारा पीछे आकर खड़ी हो गई गले में हाथ डाल कर बोली क्यों उदास हो माँ मैं जानती हूँ तुम क्या सोच रही हो मत चिन्ता करो। मै ठीक हूँ काम करती हूँ घर तो तुमने मेरे लिये कर ही दिया है। बीमार पड़ुँगी तो आस पड़ोस कोई न कोई हास्पीटल पहुँचा ही देगा। क्या अकेले कोई रहता नहीं। अकेले तो होना ही है सब अकेले है माँ। मुझमें साहस है मैं जी लूँगी। चलो तुमको दवा खिला दूँ।
मन बहुत घबरा रहा है। डा0 की रिपोर्ट आ गई है कुछ अच्छा संकेत नहीं है। बरामदे में बैठी चुपचाप अस्त होते हुयेे सूर्य को देख रही हँू। आकाश में पश्चिम दिशा में लालिमा लिये शान्त वातावरण और पक्षियों का कलरव करते हुये घोसलों पर वापस लौटना खगों की पंक्तियों का एक समूह परिवार की तरह आकाश में उड़ते गन्तव्य की ओर अग्रसर तभी नजर पड़ी एक अकेली चिडि़या पर शायद थोड़ा छूट गई थी। निस्सीम आकाश और और अकेली एक छोटी-सी चिडि़या पंख थक रहे थे अपनों से बिछड़ती आसरे के वृक्ष को खोजती।
कही यह मैं ही तो नही? मै और मेरी इकलौती बेटी। दिल काँप उठा। व्याकुल होकर बरामदे में टहलने लगी। ओह कुछ टूट रहा है मन डूब रहा है लगता है अब समय नही है। मेरा तो सूरज डूब रहा है। मगर मेरी बेटी तारा उसका क्या होगा कहाँ रहेगी? कैसे? पार होगा उसका जीवन। आर्थिक रूप से समृद्ध भी तो नहीं। 3000 की टीचरी नर्सरी की शिक्षिका। सुख-सुविधाओं में पाली। पानी का एक गिलास तक नही उठवाया। और अब तो आदत भी बिगड़ गई है। अपने आप सोचने, निर्णय लेने की क्षमता तो मैने ही समाप्त कर दी।मैं ही उसके लिये सब सोचती रही। कितना पढ़ना है कौन सा विषय लेना है कैसे जाना है नौकरी नही करने देना है बस-घर, कार, टी0वी0 घर का कमरा और इण्टर नेट। क्रिकेट देखने का शौक पागलो की हद तक। अमिताभ बच्चन फेवरेट उनके ट्विटर फेस बुक पर रहना गिने चुने मित्र न घर पर दोस्तो का आना जाना। बस में ओह मेरी तारा अगर उसकी शादी हो गई और वह पति के घर चली गई तो मरेा क्या होगा। मै तो उसके साथ कभी नही जा सकती। पति की अचानक हार्ट अटैक से मृत्यु के बाद विदेश में बस गये बेटे-बहू के पास जाने का तो प्रश्न ही नही उठता बस तारा हो तारा ही रहेगी साथ यही सोच कर मै रिश्ते की बात तो चलाती इश्तहार देती दरवने दिखाने का उत्साह व नाटक देखाती बक्सी के बक्से कपडे़ खरीद कर जमा करती दिया नई-नई डिजाइनों के गहने से लाकर भी भर दिया ताकि उसे यही लगे की मै उसकी शादी और घर बसाने के लिये चिन्तित हूँ लड़के ढ़ूढ़ रही हूँ और बीच-बीच मे यह भी कहती हूँ कि अगर तुम्हेू कोई पसन्द हो तो बताओं कर दूँगी। मगर किसी से मिलने-जुलने पर सख्त पाबन्दी मेरी ही लगी रहती। किसी का फोन आता तो दूसरे कमरे में दरवाजे से सटकर सुनती कसी लड़के का तो नही। और परेशान हो जाती कि अगर किसी को पसन्द कर लिया शादी की जिद कर बैठी तो-----? हर तरह से असुरक्षित मैं कुण्डली मिलाने घर परिवार को देखने के कार्यों को तेजी कर देती। लेकिन मै जानती थी यह मेरी सान्तवना थी तारा के लिये, मेरा कनर्सन दिखाने का।
40 की उम्र पार हो गई। अब क्या शादी होगी। समय निकल गया। अब तो समझौते की होगी शादी। बच्चो और परिवार बढ़ाने का तो प्रश्न ही नहीं उठेगा। जब से मेरी बीमारी की रिपोर्ट आई है उसे भी गुम-सुम चुप देख रही हैं। उसके मन मं क्या चल रहा होग मैं सोच पा रही हूँ पैसा तो बैंक से भरपूर है पर न रहने पर जायेगी कहाँ जायेीगी? रहेगी कहाँ? भाई-भाभी के जीवन में अनचाहे बोझ की तरह। पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं। हाय मेरी तारा। मेरी बच्ची मैने यह क्या किया? एक भाई वह भी इतनी दूर। जब तक हाथ पैर चलेंगे तब तक तो ठीक मगर कही कुछ वृद्धावस्था की बीमारी?
कब तारा पीछे आकर खड़ी हो गई गले में हाथ डाल कर बोली क्यों उदास हो माँ मैं जानती हूँ तुम क्या सोच रही हो मत चिन्ता करो। मै ठीक हूँ काम करती हूँ घर तो तुमने मेरे लिये कर ही दिया है। बीमार पड़ुँगी तो आस पड़ोस कोई न कोई हास्पीटल पहुँचा ही देगा। क्या अकेले कोई रहता नहीं। अकेले तो होना ही है सब अकेले है माँ। मुझमें साहस है मैं जी लूँगी। चलो तुमको दवा खिला दूँ।
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