लक्ष्य
चलें, गाँव की ओर,
गाँवों में ही भारत बसता
भारत माँ का रूप विहसँता
गाँवों की उन्नति से ही तो
खुशियाँ, नाचेगी चहुँओर
आदि कलायें, शिल्प ज्ञान जो
दिव्य धरोहर, अपनी है वो
करे आलोकित जग कण-कण को
नाच उठे मन मोर,
अपनी संस्कृति, अपनी भाषा
अपनी धरती अपनी आशा
नये पुराने हिल-मिल विकसें
सोन भरे सब ओर------
हिम्मत मेहनत नारा अपना
स्वास्थ्य सफाई पहला सपना
रोग-शोक सब दूर भगाये
सोन झरे सब ओर
चले गाँव की ओर------
चलें, गाँव की ओर,
गाँवों में ही भारत बसता
भारत माँ का रूप विहसँता
गाँवों की उन्नति से ही तो
खुशियाँ, नाचेगी चहुँओर
आदि कलायें, शिल्प ज्ञान जो
दिव्य धरोहर, अपनी है वो
करे आलोकित जग कण-कण को
नाच उठे मन मोर,
अपनी संस्कृति, अपनी भाषा
अपनी धरती अपनी आशा
नये पुराने हिल-मिल विकसें
सोन भरे सब ओर------
हिम्मत मेहनत नारा अपना
स्वास्थ्य सफाई पहला सपना
रोग-शोक सब दूर भगाये
सोन झरे सब ओर
चले गाँव की ओर------
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