जनहित का सूरज चमकने लगा है
समय के दुष्चक्र में, छलावे में भुलावे में, आँखे बन्द कर हम सोचते रहे, वह घना अंधकार है रास्ते ऊबड़-खाबड़ है कंकरीले है----- पथरीले है------शुतुरमुर्ग की तरह अपने पंखों में सरछुपाकर सोचते रहे हमारे आगे कुछ भी नहीं है विकास के मार्ग अवरूद्ध है हमारी यही दुनियाँ है हमारा यही, यही ठिकाना है मगर ऐसा कुछ भी नही है।
वह एक ऐसी धुन्ध थी जो छँट रही है महानता की परत थी जो कट रही है जागरण की थपथपाहत है जो जग रही है कुनमुनाते हुये, अलसाते हुये हमारी आँखे हो रही है आहत सुनाई पड़ने लगे है। सुनहली धूप, प्यारी हवायें, रंगीन सपने नन्हे -मुन्नो का आँगन, प्यारा-सा बचपन युवाओं का दमखम बुढ़ापेे का दर्शन जरूरत है एक लक्ष्य हो हमारा जरूरत है एक पथ हो हमारा
जरूरत है साथ मिलकर चलें हम हिम्मत से सबको लेकर चले हम खुशियाँ खुशियाँ बिखरी पड़ी हैं चलों दौड़ कर हम आँचल में भर ले प्यार से हर घर में दीपक जला दें चलों हम आशा के मोती लुटा दे अन्धेरा छटा है सवेरा हुआ है। जनहक का सूरज चमकने लगा है।
समय के दुष्चक्र में, छलावे में भुलावे में, आँखे बन्द कर हम सोचते रहे, वह घना अंधकार है रास्ते ऊबड़-खाबड़ है कंकरीले है----- पथरीले है------शुतुरमुर्ग की तरह अपने पंखों में सरछुपाकर सोचते रहे हमारे आगे कुछ भी नहीं है विकास के मार्ग अवरूद्ध है हमारी यही दुनियाँ है हमारा यही, यही ठिकाना है मगर ऐसा कुछ भी नही है।
वह एक ऐसी धुन्ध थी जो छँट रही है महानता की परत थी जो कट रही है जागरण की थपथपाहत है जो जग रही है कुनमुनाते हुये, अलसाते हुये हमारी आँखे हो रही है आहत सुनाई पड़ने लगे है। सुनहली धूप, प्यारी हवायें, रंगीन सपने नन्हे -मुन्नो का आँगन, प्यारा-सा बचपन युवाओं का दमखम बुढ़ापेे का दर्शन जरूरत है एक लक्ष्य हो हमारा जरूरत है एक पथ हो हमारा
जरूरत है साथ मिलकर चलें हम हिम्मत से सबको लेकर चले हम खुशियाँ खुशियाँ बिखरी पड़ी हैं चलों दौड़ कर हम आँचल में भर ले प्यार से हर घर में दीपक जला दें चलों हम आशा के मोती लुटा दे अन्धेरा छटा है सवेरा हुआ है। जनहक का सूरज चमकने लगा है।
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