खुशियाँ
यह सच है खुशियाँ, वर्फ की फाहों की तरह
आकाश से बरसती नही है
जमीन पर उगने वाले मशरूमों की तरह
हरदम किलकती नहीं है।
ये तो बिखरी पड़ी है समन्दर-सी
फैली पड़ी है, कही सीपियों-सी
कही कंकड़ो सी, कहीं मोतियों-सी
मन को लुभाती, कही लाल, पीली, छोटी-बड़ी सी
चुन लो, उठा लो, जो अच्छी लगे और प्यारी लगे
ये तो कन-कन में जैसे लिपटी पड़ी है
समय की नदी पर बहती चली है खुशियाँ
आस-पास ही तो बिखरी पड़ी है खुशियाँ
वो देखो वो देखो पकड़ लो उन्हें
तितलियों से उड़ी वो चंचल चपल-सी।
यह सच है खुशियाँ, वर्फ की फाहों की तरह
आकाश से बरसती नही है
जमीन पर उगने वाले मशरूमों की तरह
हरदम किलकती नहीं है।
ये तो बिखरी पड़ी है समन्दर-सी
फैली पड़ी है, कही सीपियों-सी
कही कंकड़ो सी, कहीं मोतियों-सी
मन को लुभाती, कही लाल, पीली, छोटी-बड़ी सी
चुन लो, उठा लो, जो अच्छी लगे और प्यारी लगे
ये तो कन-कन में जैसे लिपटी पड़ी है
समय की नदी पर बहती चली है खुशियाँ
आस-पास ही तो बिखरी पड़ी है खुशियाँ
वो देखो वो देखो पकड़ लो उन्हें
तितलियों से उड़ी वो चंचल चपल-सी।
The amount of Joy and pleasure that we gat
in floating the tiny paper boat in the water of rains, in our daily life too.
We can gather joy and happiness.
Collecting pebbles at the seashore like
wise in our daily life too we can seek, gather and pickup happiness from the
little things happening around us. It is all in the state of mind. Pleasure and
joy does not fall from the sky like shower of snow or grow on earth like
mushrooms.
No comments:
Post a Comment