Sunday, October 9, 2016

Achha Lgata Hai

           अच्छा लगता है 

सुबह सबेरे सूरज की सतरंगी किरणों का छा जाना
अच्छा लगता है
फूलों पर भवरों का गुनगुन
आॅगन में पानी की रिमझिम धरती से बीजों का अंकुर का
बचपन ----
अच्छा लगता है।
मेघो की लुका छुपी और तरह-तरह के भेष बनाकर
अम्बर पर छा जाना नीले अम्बर पर फिर
शोर मचाना गरज-गरज कर
अच्छा लगता है
पंक्षी का कलरव, दाना चुनाकर
खेल-कूद कर इस डाली से उस डाली पर
फुदक-फुदक कर नाच दिखाना
वेफिक्री से हिलना-मिलना
अच्छा लगता है।
और हवा का हल्का झोका
 बहुत प्यार से बिखरा जाता बालों को 
मटक-मटक कर लट सवाॅरना
माँ की यादों से मन को सहलाना
अच्छा लगता है।
गिरते बूँदों का नर्तन पत्तों का कम्पन
नन्ही बगिया में बैठ देखना
अच्छा लगता है।

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