नन्हा पौधा
पिछले साल जो नन्हा सा पौधा
तुमने मुझे सौपा था
बसन्त में आधा अनगिनत कोपलो
से भर गया वह
कोमल, ताम्बाई रंग प्यारे नन्हें
आकार मेरे मन को आनन्द से भर
रहा है वह
रोज सुबह आँखे खुलते ही दौड़ जाती हूँ उस ओर
जहाॅ मेरी आशाएॅ, मेरी उमंगें उसके पोर-पोर से फूटेंगी
और छा जायेंगी मन के आकाश पर
आस-पास के पाताश पर
निखरेगा, पनपेगा, लहलहायेगा
वो नन्हा-सा पौधा जो तुमने मुझे पिछले साल सौंपा था
बसन्त में अहा! वह अनगिनत कोपलों से भर गया
पिछले साल जो नन्हा सा पौधा
तुमने मुझे सौपा था
बसन्त में आधा अनगिनत कोपलो
से भर गया वह
कोमल, ताम्बाई रंग प्यारे नन्हें
आकार मेरे मन को आनन्द से भर
रहा है वह
रोज सुबह आँखे खुलते ही दौड़ जाती हूँ उस ओर
जहाॅ मेरी आशाएॅ, मेरी उमंगें उसके पोर-पोर से फूटेंगी
और छा जायेंगी मन के आकाश पर
आस-पास के पाताश पर
निखरेगा, पनपेगा, लहलहायेगा
वो नन्हा-सा पौधा जो तुमने मुझे पिछले साल सौंपा था
बसन्त में अहा! वह अनगिनत कोपलों से भर गया
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