Tuesday, June 9, 2009

टेलीविजन और छोटे बच्चे

दूरदर्शन आज मनोरंजन का सबसे बड़ा और लोकप्रिय साधन है । छोटे बड़े सभी बिना किसी प्रयास के अपना समय बिता लेते है । और बार बार सकारात्मक सोच के साथ बचपन से ही माता पिता बच्चों को टेलीविजन से जोड़ने का प्रयास करते है किंतु "अति सर्वत्र वर्जयेत " बहुत अधिक समय तक टेलीविजन देखना विशेषकर छोटे बच्चों के लिए हानि कारक हो सकता है। शुरू शुरू में तो सब को अच्छा लगता है की वह टेलीविजन से पूरी तरह अवगत है स्वयम हीउसका प्रयोग कर सकता है । किंतु ध्यान देने की जरूरत है।




यहाँ मैं दो वर्ष से छ वर्ष तक के बच्चों की ही बात करूंगी । इस उम्र के बच्चे बिना टेलिविज़न देखे भी रह सकते हैं क्योंकि ये वर्ष उनके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बहुत ज़रूरी हैं। यह कहे जाने पर अभिवावक असंतोष प्रकट करते है । और कहते हैं की समय बदल गया है। जमाने के साथ चलनाचाहिए । हमाराबेटा पिछड़ जाएगा। " उनका यह सोचना प्रत्यक्ष रूप में तो सही लगता है लेकिन आगे चल बुरे प्रभाव भी दिखाई detein हैं । फ़िर स्थिति हमारे नियंत्रण के बाहर हो जाती है .यह इन नन्हें बच्चों के इन वर्षों शोर मचने वाला यंत्र ही साबित होता है । एक दूसरे के प्रति मेल जोल , आस पास के वातावरण के हर पल का आनंद लेना भूल जाता है । उसके प्रति प्रतिक्रियाएं व्यक्त नहीं कर पाता । हमारे बच्चों को " सब चीजों की जानकारी होनी चाहिए लेकिन उसकी भी एक सीमा है । क्योंकि टेलीविजन के कार्य क्रमों का प्रभाव हमारे शारीरिक, मानसिक, और सामजिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। इसके बहुत से नकारात्मक प्रभाव हैं । जिसमे की मोटापा प्रमुख है। रिसर्च बताता है की जो टेलीविजन ज्यादा देखते हैं उनके "ओवेर - वेट " होने की संभावना अधिक होती है। क्योंकि वे अपना अधिक समय उसके सामने बैठ कर बिताते हैं। विज्ञापनों को देखते हैं जिसमें आकर्षक तरीके से "हाई- कैलोरी फूड " आदि रहतें हैं बच्चे ऐसे खानों के लिए जिद करते हैं .मैगी , पिज्जा कोकाकोला आदि.,कई माताएं बच्चों को बहला फुसला कर खाना खिलाने के लिए टीवी पर "कामिक" , फ़िल्म आदि लगा देती हैं .और उन्हें "मोटीवेट" करती हैं । यही नहीं बच्चे स्मोकिंग, सेक्सुअल रिस्क " खाने पीने में अनियमितता और "अबुजेज़ "सीखते हैं।


अनुसंधान यह बताते हैं की टीवी प्रोग्राम में दिखाई जाने वाली हिंसा बच्चों में डर , उत्तेज़ना , आक्रामकता , और विद्रोही व्यवहार को बढावा देती है। कम नींद का होना, पढाई में ध्यान न लगना और एकाग्रता की समस्या अक्सर बच्चों में आ जाती है। वे असंवेदनशील हो जाते हैं। बच्चे जब हिंसा से अपना मनोरंजन करते हैं तो वे कठोर , निर्दयी संवेदना शून्य हो जाते हैं। और किसी भी प्रकार के दबाव को सहन नहीं कर सकते । और हमारे स्कूलों , समाज और समुदायों को और अधिक हानिकारक बनाते हैं।


थोड़े से बड़े बच्चों के लिए शैक्षिक प्रोग्राम बेहतर हैं, लेकिन दो वर्ष से कम बच्चों के लिए नहीं । क्योंकि उनका कोई सकारात्मक प्रभाव उन पर नहीं देखा जा सकता । उनका मस्तिष्क पूरी तरह से इतना विकसित नहीं होता की वे स्क्रीन से कुछ सीख सकें यहाँ तक की "बेबी- वीडियो " भी उनके सामान्य और समुचित विकास में देरी कर सकते हैं.वास्तव में हानि पहुँचा सकतें हैं।


दूसरा पक्ष या तर्क दिया जा सकता है की क्या टीवी कासब बुरा या ग़लत ही प्रभाव होता है ? कुछ भी अच्छा प्रभाव बच्चों पर नहीं पड़ता ?अगर देखा जाए तो दो वर्ष से बड़े बच्चों के लिए टीवी के शिक्षा संबंधी प्रोग्राम उनके भाषा संबंधी कुशलता को बेहतर करने में सहायक हो सकतें हैं लेकिन उसके लिए ज़रूरी है की "इंटर -आक्टिव शोज़ " को चुना जाए , ये प्रोग्राम शिक्षा के अनुभवी व्यक्तियों के द्वारा तैयार किया जाता है जो एकदम सही से जानते है की कौन सी विकसित की जाने वाली "स्किल्स " हैं और किस उम्र के लिए हैं । वे इन प्रोग्रम्स को देखने वाले छोटे दर्शकों ,बच्चों से सोच समझ कर की गई प्रतिक्रियाएं मांगते हैं। इसलिए जानकारियाँ केवल एकतरफा बच्चों के ऊपर से निकल जाने वाली नहीं होती.अपितु उम्र के अनुसार अहिंसात्मक वीडियो गेम्स बच्चों की समस्यायों का समाधान करने में सहायक हो सकतें हैं ।


यदि बच्चों को काल्पनिक , क्रियात्मक ,और शारीरिक क्रियाओं से भर पूर खेल खेलने को दिए जाएँ तो उन्हें टीवी देखेने की ज़रूरत ही न पड़े । यह व्यवस्था दो से छ वर्ष के बच्चों के लिए की जा सकती है । खेलना , बच्चों से मिलना, पार्क में, लूडो , कैरम। फूटबाल, छुपा छुपी , आदि छोटे छोटे खेलों में उन्हें व्यस्त रख कर टीवी से दूर रखा जा सकता है।


मूवी को आजकल रेटिंग किया जाता है की बच्चों के लिए उपयुक्त है या नहीं । मगर यह बहुत भरोसे का नहीं होता है। क्योंकि सब कुछ व्यापारिक हो चुका है


सबसे अच्छा तो यह होगा की अभिवावक स्वयम सोंचें , समझें और देख कर यह निश्चित करें की वीडियो गेम, टीवी, सिनेमा में से कौन सा सबसे प्रभावशाली माध्यम जो उनके बच्चों के वातावारण संबंधी स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है ? उन्हें विशेष रूप से ख्याल रखना होगा , सतर्क व सावधान होना होगा की उनका बच्चा किसका इस्तेमाल कर रहा है । वे उतनी ही चिंता इसकी भी करें जितनी बच्चे के खाने पीने रहने - सहने की रखतें हैं । बच्चों को सही माध्यम को चुनना भी सिखाना चाहिए केवल फैशन "ट्रेंड " को देख कर नहीं.

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