Sunday, June 14, 2009

सोचना ज़रूरी है .

अज्ञात शक्तियों पर विश्वास करने से कहीं बेहतर है हम अपने द्वारा किए गए कर्म , बाहुओं की शक्ति को पहचाने और उसका उपयोग करे । यदि मनुष्य साहसी निर्भीक और विचारों में मजबूत , नैतिकता की दृष्टि से सही हो तो आने वाली सारी कठिनाइयां दूर हो सकती हैं । फूंक फूंक कर कदम रखने वाले मंजिलें तय नहीं करते। निर्बल, संकोची , डरपोक और नाज़ुक आदमियों से किसी को सहानुभूति नहीं होती .दीन हीन और दया का पात्र बनने से अच्छा है ईर्ष्या का पात्र होना .संघर्षों से गुज़र कर सोने की तरह तप कर चमक जाना , संतुलित ,गंभीर व्यक्तित्व का निखरना .

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