अहा, गगन में चाँद उगा है।
दिन भर की हर तपन थकन को दूर किया है।
हरख ,हरख मन डोल रहा है ।
अहा, गगन में चाँद उगा है।
शीतल , उज्जवल , पावन, कोमल,
झर झर झरी चांदनी भू पर।
पीडा , ज्वाला ,कम्पन , क्रंदन,
सब को शांत किया है ।
अहा गगन में चाँद उगा है।
जहाँ तहाँ छिटके हैं तारे ,
आशाओं के अंकुर सारे
,झिलमिल झिलमिल बिखरे पथ पर ।
जीवन को आश्वस्त किया है
अहा गगन में चाँद उगा है.
Saturday, June 13, 2009
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1 comment:
बहुत सुंदर भाव युक्त कविता
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