Monday, May 18, 2009

प्रिय पाठकों ,

मेरे पुनरागमन का आपने स्वागत किया है , और शुभ कामनाएं दी हैं । बहुत बहुत धन्य वाद । यह मात्र औपचारिक नहीं है , वरन ह्रदय से अनुभूत है ।
मुझे इस बात का दुःख है की टाइपिंग में कुछ कुछ वर्तिनी की गलतियाँ हो गयी हैं जिस को मैं सुधार नहीं पायी और वह ब्लॉग पर चला गया । अब विशेष ध्यान रखूगीं ।
समाज में बहुत कुछ बदल रहा है , सोच, विचार, रहन सहन , खान पान , काम करने का तरीका । इन सबके बीच बिना किसी कुंठा के जीवन सहज बीत जाए वही कामना रहती है । " जो जैसा है " उसमें अच्छाई की कल्पना करते रह कर प्रयास करना ही अपना उद्देश्य होना चाहिए । शांती और सुख के लिए साहस और धैर्य दोनों ही आवश्यक है।
आप क्या सोचतें हैं? वर्तमान में असंतोष हमें कर्म कर झूझने की और प्रेरित करता है ? या हमारे जीवन को पलायन की तरफ ले जाता है ? आज का युवा इस विषय पर क्या सोचता है?
शुभ काम नाओं सहित
अनुशी .

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