Friday, May 29, 2009

लक्ष्य


आओ , चलें गावं की ओर
ग्रामों में ही भारत बसता ।
ग्रामों की उन्नति से ही तो ,
खुशियाँ , नाचेंगी चहूँ ओर ,
आदि कलाएं , शिल्प ज्ञान जो,
दिव्य धरोहर , अपनी है वो ।
करे आलोकित जग , कण कण को ।
नाच उठे मन मोर ,-----
अपनी सस्कृति अपनी भाषा ,
अपनी धरती अपनी आशा ,
नये ,पुराने हिल मिल विकसें ,

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