लक्ष्य
आओ , चलें गावं की ओर
ग्रामों में ही भारत बसता । ग्रामों की उन्नति से ही तो , खुशियाँ , नाचेंगी चहूँ ओर ,आदि कलाएं , शिल्प ज्ञान जो,दिव्य धरोहर , अपनी है वो ।करे आलोकित जग , कण कण को ।नाच उठे मन मोर ,-----अपनी सस्कृति अपनी भाषा ,अपनी धरती अपनी आशा , नये ,पुराने हिल मिल विकसें ,
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